
रुद्रप्रयाग। जिले के कोट मला निवासी युवा पर्यावरण विशेषज्ञ देवराघवेन्द्र बद्री युवाओं के लिए पर्यावरण के क्षेत्र में मिसाल बने हैं। आज देश भर से युवा छात्र-छात्राएं इनसे पर्यावरण संरक्षण का ज्ञान ले रहे हैं। दस वर्ष से उनका यह अभियान जारी है और अब तक वे देश भर के 20 हजार युवाओं को पर्यावरण संरक्षण का प्रशिक्षण दे चुके हैं, जबकि 25 हजार से अधिक वृक्षों का रोपण कर चुके हैं।
आज के समय में जहां युवा शहरी इलाकों में भटककर रोजगार की तलाश में जुटे हैं, वहीं विकासखण्ड अगस्त्यमुनि के कोट-मल्ला निवासी देवराघवेन्द्र बद्री पर्यावरण विशेषज्ञ की पढ़ाई पूरी करने के बाद अपने क्षेत्र को विकसित करने में जीजान से जुटे हैं। उन्होंने पढ़ाई के साथ-साथ अपने जंगल में पर्यावरण संरक्षण को लेकर कार्य करना शुरू कर दिया था, जिसका नतीजा है कि हिमालय में पर्यावरण संरक्षण की दिशा में उन्होंने अब तक 25 हजार वृक्षों का रोपण किया है। देवराघवेन्द्र बद्री पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक ऐसा कार्य कर रहे हैं, जो क्षेत्र के संरक्षण के साथ ही विकास की भूमिका में बेहतरीन प्रयास है।
देवराघवेन्द्र का मानना है कि भविष्य में पर्यावरणीय स्थिरता तथा संरक्षण को कायम रखने के लिए नयी पीढ़ी को प्रकृति से जोड़ने की आवश्यकता है। इसके लिए पर्यावरण पाठशाला अभियान का गठन किया गया है, जिसके तहत वे अपने संसाधनों के बल पर देश भर के युवाओं को जल, जंगल, जैवविविधता का प्रशिक्षण प्रदान कर रहे हैं। साथ ही साथ युवाओं के साथ वृक्षारोपण अभियान भी चलाते हैं। पर्यावरण पाठशाला के तहत देवराघवेन्द्र अब तक 20 हजार युवाओं को प्रशिक्षण दे चुके हैं। देवराघवेन्द्र कहते हैं कि आज उन्हें अपने कार्य से बेहद खुशी है। उनके आस-पास के युवा उनकी पर्यावरण की पाठशाला से प्रशिक्षण लेकर बागवानी तथा वानिकी के क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं। आगामी दिनों में देवराघवेन्द्र ग्रीन मिनी कॉरिडोर निर्माण, जल संरक्षण, ग्रीन इकोनॉमी, ईको ग्रीन टूरिज्म, स्थानीय शिल्पियों के साथ मृदा संरक्षण को लेकर कार्य करेंगे। इसमें वन खाद निर्माण प्रमुख है। देवराघवेन्द्र अपनी टीम के साथ हिमालयी पर्यावरण संरक्षण को लेकर उच्च हिमालयी क्षेत्र केदारनाथ व बद्रीनाथ में वृहद वृक्षा रोपण कार्य भी कर रहे हैं। उन्होंने अपने पर्यावरण संरक्षण तथा मिश्रित वानिकी पर विभिन्न अन्तर्राष्ट्रीय प्रकाशनों में अध्याय तथा शोध पत्र के रुप में भी अपने लेख प्रस्तुत किये हैं, जिसमे एग्रीबायो प्रकाशन प्रमुख रुप से है। वर्ष 2022 में राघवेन्द्र को उत्तराखण्ड से पर्यावरण पर व्याख्यान के लिए युवा पर्यावरण संसद कार्यक्रम के तहत संसद भवन नयी दिल्ली के लिए भी चुना गया था। अपने शोध के साथ-साथ हिमालयी, पर्यावरण तथा पारिस्थितिकी पर भी गहनता से कार्य कर रहे हैं। पर्यावरण संरक्षण पर कार्य करने पर अब तक 10 पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है, जिसमें माटी मित्र, युवा गौरव, हिमालय गौरवण, पर्यावरण मित्र, हिमालय प्रेमी समान प्रमुख हैं। देवराघवेन्द्र बताते हैं कि पर्यावरण की पाठशाला अभियान के तहत विश्व स्तर पर युवाओं के साथ पर्यावरण संरक्षण पर कार्य करने की भी योजना बनाई जा रही है। बहरहाल, देवराघवेन्द्र आज उन युवाओं के लिए प्रेरणा बन चुके हैं, जो गांव में रहकर कृषि, बागवानी तथा अपनी परम्परा से जुड़कर आर्थिकी के क्षेत्र में कार्य करना चाहते हैं।
सेलिब्रिटी शेफ बरार के साथ किया पारम्परिक घाट पर वीडियो शूट
रुद्रप्रयाग। देवराघवेन्द्र को पर्यावरण विशेषज्ञ के रुप में व्याख्यान के लिए देश के बड़े-बड़े शिक्षण संस्थानों में भी आमंत्रित किया जाता है। उन्हें पर्यावरण संरक्षण की प्रेरणा अपने पिता प्रसिद्ध पर्यावरणविद जगत सिंह चौधरी उर्फ जंगली से विरासत में मिली है। देवराघवेन्द्र अपने गांव में रहकर पर्यावरण के साथ-साथ अपनी पांरपरिक धरोहरों को संरक्षित रखने का कार्य भी कर रहे हैं, जिसमें घराट पन चक्की पारंपरिक जल स्त्रोत प्रमुख है। घराट संरक्षण के लिए सेलिब्रिटी शेफ रणवीर बरार ने पारम्परिक घाट पर उनके साथ एक वीडियो शूट किया, जिसका प्रसारण 106 देशों में किया गया। देवराघवेन्द्र देश के विभिन्न नामी शिक्षा तथा शोध संस्थानों के रिसोर्स पर्सन के तौर पर भी कार्य कर रहे हैं। नीटर चड़ीगढ़ संस्थान ने देवराचवेन्द्र को पर्यावरण एवं ग्रामीण विकास पर व्याख्यान के लिए रिसोर्स पर्सन के रूप में रखा है। हाल ही में देवराघवेन्द्र को पर्यावरण एवं मृदा संरक्षण के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने पर जर्मन इंडो (जीआईजेड) भारत सरकार सीईईडब्लू ने माटी मित्र पुरस्कार से सम्मानित किया, जिसका आयोजन विश्व मृदा दिवस के मौके पर नई दिल्ली में आयोजित किया गया था।



