
चमोली। रविवार कोचमोलीः माणा एवलॉन्च हादसे में मृतकों की संख्या 7 पहुंच गई है। जबकि एक मजदूर की तलाश एवलॉन्च के तीसरे दिन भी जारी है। इस पूरे हादसे में पहले 55 बीआरओ के मजदूरों के बर्फ में दबने की सूचना थी. लेकिन हादसे के दूसरे दिन देर रात सूचना मिली कि एक मजदूर पहले ही अपने घर कांगड़ा चला गया था। इस लिहाज से एवलॉन्च की चपेट में आने वाले मजदूरों की संख्या 54 रही।
चमोली के माणा में 28 फरवरी की सुबह एवलॉन्च आने से 54 मजदूर बर्फ के नीचे दब गए थे. एवलॉन्च की सूचना शासन-प्रशासन तक पहुंचते-पहुंचते सुबह के 10 बज गए. जानकारी मिली कि ये मजदूर 8 कंटेनर और 1 शेड के अंदर थे. जो कि लापता थे. इसके बाद आईटीबीपी और प्रशासन से सर्च एंड रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया। घटना वाले दिन ही आईटीबीपी ने 2 कंटेनर का पता लगाते हुए 33 लोगों को बचा लिया। जबकि दूसरे तीन रेस्क्यू ऑपरेशन को आटीबीपी के साथ ही भारतीय सेना और वायुसेना का भी साथ मिला। इस दौरान रेस्क्यू ऑपरेशन कर रहे जवानों को 3 और कंटेनर मिले जिसके शाम तक रेस्क्यू मजूदरों की संख्या 50 पहुंची। हालांकि, इस बीच जानकारी मिली कि गंभीर रूप से घायल 4 मजदूरों को मौत हो गई। जबकि एक गंभीर रूप से घायल मजदूर को एयरलिफ्ट करते हुए एम्स ऋषिकेश लाया गया।
उत्तरकाशी निवासी मजदूर ने कहा कि वो मुख्यमंत्री का धन्यवाद करते हैं। जिन्होंने रेस्क्यू के लिए तत्परता दिखाई. साथ ही मजदूर ने भारतीय सेना, आईटीबीपी, पुलिस, एसडीआरएफ व चमोली प्रशासन को उनके सफल रेस्क्यू के लिए धन्यवाद किया।
उत्तर प्रदेश निवासी मजदूर विजयपाल ने बताया कि सुबह साढ़े 8 बजे के करीब पहला ग्लेशियर आया, उसके बाद हमें आभास हुआ कि फिर से ग्लेशियर आ सकता है, लेकिन जब दूसरा ग्लेशियर आया तो, हमें पता नहीं लग पाया और हम सभी ग्लेशियर में फंस गए।
वहीं, बेरीनाग पिथौरागढ़ जनपद के मजदूर ने बताया कि ग्लेशियर टूटने का पता नहीं लग पाया। जिसके कारण यह घटना घटी। उन्होंने बताया कि जब हम लोग सोए हुए थे, तब यह घटना घटी. ग्लेशियर की चपेट में आने से हमारा कंटेनर 50 से 60 मीटर नीचे गिर गया था।
28 फरवरी की सुबह 4 बजे सीमा सड़क संगठन के ठेकेदार के तहत काम कर रहे 55 मजदूर मलबे में दब गए थे। जिसमें से अभी तक 51 मजदूरों को बाहर निकाल लिया गया है। 51 मजदूरों में से 5 मजदूरों की मौत हो गई है। रेस्क्यू अभियान के दूसरे दिन रेस्क्यू किए गए 50 में से 27 मजदूरों को जोशीमठ पहुंचाया गया था।
जिलाधिकारी संदीप तिवारी ने बताया कि रेस्क्यू अभियान में सेना के 7 और 1 निजी हैली की मदद से घायलों को ज्योतिर्मठ लाया गया है। देर रात डॉक्टरों ने चार मजदूरों को मृत्यु की पुष्टि की है। जिनमें हिमाचल के जितेंद्र सिंह व मोहिन्द्र पाल, उत्तर प्रदेश के मंजीत यादव, और उत्तराखंड के अलोक यादव शामिल हैं। उन्होंने बताया कि 55 में से 51 मजदूरों का रेस्क्यू किया गया है और 3 अभी भी मिसिंग हैं।
फिर हिमस्खलन की चेतावनी,प्रशासन अलर्ट
बागेश्वर। मौसम विभाग के पूर्वनुमान पर हिमपात तथा हिमस्खलन की संभावना व्यक्त की गई है। 2000 मीटर तथा उससे अधिक भूभाग में किसी भी प्रकार की गतिविधि पर रोक रहेगी।
जिलाधिकारी आशीष भटगांई ने पूर्वानुमानों के दृष्टिगत जनपद में 2000 मीटर व उससे अधिक क्षेत्रों में पर्यटकों, ट्रेकिंग करने आ रहे सैलानियों तथा स्थानीय निवासियों को सुरक्षित स्थान पर ठहराने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि तीन मार्च तक पहाड़ी क्षेत्रों में आने वाले पर्यटकों को रोका जाएगा।उन्होंने इस स्थिति से निपटने के लिए प्रत्येक स्तर पर तत्परता एवं सुरक्षा बनाए रखने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने आपदा प्रबंधन आईआरएस प्रणाली के नामित अधिकारी एवं विभागीय नोडल अधिकारी को हाई अलर्ट में रहने के निर्देश दिए हैं। एनएच, लोनोवि, पीएमजीएसवाई व बीआरओ को सड़कें बंद होने पर त्वरित कार्रवाई को कहा है।राजस्व उपनिरीक्षक, ग्राम विकास अधिकारी, ग्राम पंचायत अधिकारी अपने क्षेत्रों में बने रहेंगे। चौकी, थाने भी आपदा संबंधित उपकरणों एवं वायरलैस सहित हाई अलर्ट में रहेंगे। इस अवधि में कोई भी अधिकारी, कर्मचारी अपना मोबाइल फोन स्विच आफ नहीं रखेंगे।
बागेश्वर में वर्षा तथा हिमपात के बाद चटक धूप खिली
बागेश्वर। जिले में वर्षा तथा हिमपात के बाद रविवार को मौसम साफ रहा। चटक धूप खिली। लोगों ने राहत की सांस ली। लेकिन सड़कों पर मलबा तथा भूस्खलन का खतरा भी बढ़ गया है। धूप निकलने के बाद पहाड़ी क्षेत्रों में सबसे अधिक भूस्खलन का भय बना रहता है। हालांकि जिला प्रशासन के बंद सड़कों को खोलने के लिए त्वरित कार्रवाई के निर्देश हैं।
कपकोट क्षेत्र भूकंप तथा भूस्खलन की दृष्टि से जोन पांच में आता है। यहां वर्षा तथा हिमपात के बाद बिजली, पानी तथा संचार सेवाएं प्रभावित हो जाती हैं। सड़कों पर भूस्खलन होने से मलबा आदि पट जाता है। इस बार भी कई सड़कों पर मलबा आया हुआ है। जिसे संबंधित विभागों ने हटाने का काम शुरू कर दिया है। भयूं-गुलेर मोटर मार्ग में भूस्खलन से सड़क बंद हो गई थी। किमी दो में भारी मात्रा में मलबा जमा हो गया। जिसे हटाने के लिए लोडर मशीन लगाई गई। रविवार को सड़क सुचारू हो सकी। वहीं, पगना मोटर मार्ग में कठानी तथा पगना के बीच सड़क पर भारी मात्रा में मलबा भर गया था।
बीते शनिवार को 200 बराती फंस गए थे। देर शाम ब्रिडकुल ने लोडर मशीन से मलबा हटाया। जिसके बाद बराती तथा स्थानीय लोगों को राहत मिल सकी। इसके अलावा कपकोट के कर्मी, मुनार, खाती आदि सड़कों पर मलबा गिरने की सूचना है।
खाद्य सुरक्षा विभाग ने प्रदेशभर में मिलावटखोरों के खिलाफ छेड़ा अभियान
देहरादून। रंगों के त्योहार होली पर आम जनता तक शुद्ध और सुरक्षित खाद्य उत्पाद उपलब्ध कराने के लिए खाद्य संुरक्षा एवं औषधि प्रशासन ने प्रदेशभर में मिलावटखोरों के खिलाफ सख्त अभियान छेड़ दिया है।
खासतौर पर दूध, मावा, पनीर और खोया जैसे उत्पादों की जांच की जा रही है। देहरादून, हरिद्वार और ऊधम सिंह नगर जैसे संवेदनशील जिलों में विशेष सतर्कता बरती जा रही है। देहरादून के आशारोड़ी बॉर्डर पर बाहर से आने वाले दूध और उसके उत्पादों की सख्त जांच की जा रही है।
मिलावटखोरों के खि़लाफ़ कड़ी कार्रवाई के निर्देश
खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन के आयुक्त डा. आर राजेश कुमार ने कहा कि इसको लेकर एक विस्तृत एसओपी जारी कर दी गई है। सम्बंधित अधिकारियों को मिलावटखोरों के खि़लाफ़ कड़ी कार्रवाई के निर्देश जारी किए गए हैं। उन्होंने बताया खाद्य सैम्पलों की प्राथमिकता से जांच होगी और दोषी पाए जाने वाले मिलावटखोरों और विक्रेताओं के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
इसके लिए 05 लाख तक जुर्माना और 06 साल तक की कैद हो सकती है। आयुक्त डा. आर राजेश कुमार ने बताया कि खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन प्रदेश भर में मिलावटखोरी को रोकने के लिए लगातार अभियान चलाता है। यह अभियान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और स्वास्थ्य मंत्री डा. धन सिंह रावत के मार्गदर्शन में चल रहा है। इसके तहत अब होली के मद्देनजर विभाग ने व्यापक कार्ययोजना तैयार की है।



