
देहरादून। डीआईटी यूनिवर्सिटी ने तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन “प्राकृतिक एवं कृत्रिम प्रणालियाँ, डिज़ाइन्स और पैटर्न्स” का सफलतापूर्वक आयोजन किया। इस सम्मेलन में विश्वभर के प्रमुख वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं और शिक्षाविदों ने भाग लिया तथा प्राकृतिक और कृत्रिम प्रणालियों के संगम पर उभरती अवधारणाओं पर गहन चर्चा की।
सम्मेलन का शुभारंभ डीआईटी यूनिवर्सिटी के प्रिंसिपल एडवाइज़र एन. रवि शंकर और कुलपति प्रो. जी. रघुरामा ने विशिष्ट अतिथियों, संकाय सदस्यों और प्रतिभागियों की उपस्थिति में किया गया। आयोजन की अध्यक्षता प्रो. देबाशिष चौधरी (डीन रिसर्च) ने की, जबकि आयोजन संयोजक के रूप में प्रो. एकता सिंह (डीन-स्कूल ऑफ डिज़ाइन एवं स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर एंड प्लानिंग) रहीं। डॉ. तरुमय घोषाल (एसोसिएट डीन रिसर्च) आयोजन सचिव रहे। यह सम्मेलन राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन को समर्थित था।
इस अवसर पर प्रो. देबाशिष चौधरी ने कहा, “एक बहुविषयक विश्वविद्यालय होने के नाते, डीआईटी विश्वविद्यालय अंतर्विषयक अनुसंधान को प्रोत्साहित करता है। इस सम्मेलन ने विभिन्न विषयों के बीच विचारों के आदान-प्रदान के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान किया है।”
समारोह में विश्व के अग्रणी वैज्ञानिकों ने अपने क्षेत्र में हो रहे अत्याधुनिक शोध प्रस्तुत किए। डॉ. जोसेफ पुगलीसी (स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी, अमेरिका) ने जीवित कोशिकाओं में प्रोटीन संश्लेषण की जटिल आणविक प्रक्रियाओं पर प्रकाश डाला, जो अरबों वर्षों के विकास की देन हैं। डॉ. श्रीराम रामास्वामी (आईआईएससी बेंगलुरु) एवं डॉ. फ्रैंक जूलिकर (मैक्स-प्लैंक इंस्टीट्यूट, जर्मनी) ने सॉफ्ट मैटर में बनने वाले गतिशील पैटर्नों की आधुनिक वैज्ञानिक समझ साझा की। डॉ. कात्सुहिरो निशिनारी (टोक्यो यूनिवर्सिटी, जापान) और डॉ. एंड्रियास शाडश्नाइडर (कोलोन यूनिवर्सिटी, जर्मनी) ने एआई और चींटी-आधारित स्वॉर्म इंटेलिजेंस द्वारा भीड़ एवं ट्रैफिक प्रबंधन में हो रहे नवाचारों पर व्याख्यान दिया। डॉ. अनातोली कोलोमेइस्की (राइस यूनिवर्सिटी, अमेरिका) तथा डॉ. प्रबल मैती (आईआईएससी बेंगलुरु) ने दवा निर्माण और डीएनए-आधारित नैनोस्ट्रक्चर्स पर तिवदजपमत तमेमंतबी प्रस्तुत की, जिनसे स्वास्थ्य क्षेत्र को भविष्य में बड़ा लाभ मिलेगा। डॉ. जेरेमी गुनवर्डेना (बार्सिलोना, स्पेन) ने जीवित प्रणालियों की रासायनिक प्रक्रियाओं के पीछे छिपे अप्रत्याशित गणितीय पैटर्नों को उजागर किया। डॉ. सुधीप्तो मुखर्जी (आईआईटी दिल्ली) ने यांत्रिक डिज़ाइनों को संज्ञानात्मक प्रक्रियाओं से जोड़ने के 300 वर्षों के शोध इतिहास को रोचक ढंग से प्रस्तुत किया।



