
उत्तराखंड के बागेश्वर में मकर संक्रांति के अवसर पर सरयू-गोमती और विलुप्त सरस्वती के पावन संगम पर स्नान करने वाले श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। सुबह अंधेरे से ही संगम तट पर श्रद्धालुओं का आना शुरू हो गया था। कड़ाके की ठंड के बावजूद लोग पूरे उत्साह के साथ पावन जल में आस्था की डुबकी लगाते रहे। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए मेला समिति ने नदी के तट पर स्नानागार बनाए हैं। इस मौके पर विभिन्न संगठन श्रद्धालुओं को स्नान के तत्काल बाद गरमागरम चाय फ्री में उपलब्ध करा रहे थे। स्नान के साथ ही श्रद्धालुओं ने बाबा बागनाथ के दर्शन, पूजन और जलाभिषेक कर पुण्य अर्जित किया। बागेश्वर के धार्मिक महत्व को देखते हुए इसे कुमाऊं की काशी के नाम से जाना जाता है।
मकर संक्रांति से माघ मास के तीन दिनों का विशेष महत्व माना गया है। इन तीन दिनों में भक्त संगम तट पर स्नान कर बाबा बागनाथ का जलाभिषेक करते हैं। अधिकांश श्रद्धालु तीन दिनों का उपवास रखते हैं। जिसे त्रिमाघी के नाम से जाना जाता है। इन तीन दिनों में व्रत, पूजा के साथ तिल और अन्य वस्तुओं का दान करने का अत्यधिक महत्व माना गया है। जिले के अलावा बाहर से भी लोग यहां स्नान और पूजा करने के लिए सैकड़ों की संख्या में आते हैं। इस दिन स्नान, दान के साथ सरयू तट पर यज्ञोपवीत कराने का भी प्रचलन है।