यूपी की इस सीट पर कभी होता था कांग्रेस का दबदबा, जनता ने ऐसे मोड़ा मुंह 35 सालों से जीत के लिए तरस गई पार्टी
अतीत के पन्नों को पलटें तो वर्ष 1957 में कांग्रेस के टिकट पर लड़े छेदा लाल ने विजय पताका फहराई थी।

हरदोई।हरदोई संसदीय सीट पर पर एक समय था कि जब कांग्रेस की तूती बोलती थी। करीब छह बार कांग्रेस के प्रत्याशियों ने जनता का दिल जीत कर सांसद का ताज पहना, लेकिन वर्ष 1989 में जनता दल के दखल से कांग्रेस का ऐसा साथ छूटा कि 35 सालों से अपनी ताकत दिखा पाना तो दूर एक अंगुली थामने को भी हाथ तरस गया।
इस बार चुनाव में एक बार फिर सपा के साथ मिलकर कांग्रेस अपनी पुरानी जमीन तलाशने में जुट गई है। अतीत के पन्नों को पलटें तो वर्ष 1957 में कांग्रेस के टिकट पर लड़े छेदा लाल ने विजय पताका फहराई थी। पांच साल बखूबी कांग्रेस का शासन चला, इसके बाद वर्ष 1962 में एक बार फिर से किंदर लाल कांग्रेस से टिकट ले जीत दर्ज की।
किंदर लाल का रहा दबदबा
वर्ष 1967 में एक बार फिर से जनता ने किसी और पार्टी को मौका नहीं दिया। कांग्रेस ने जहां किंदर लाल को एक बार फिर से टिकट देकर भरोसा जताया, तो जनता ने भी कांग्रेस के भरोसे को नहीं तोड़ा और किंदर लाल को फिर से लोस पहुंचा दिया।
ऐसा रहा राजनीतिक इतिहास
वर्ष 1971 में जनता ने फिर से कांग्रेस से तीसरी बार टिकट पाने वाले किंदर लाल को जिता कर लोकसभा भेज दिया। वर्ष 1977 के चुनाव में भारतीय लोकदल के टिकट से सामने आए परमाई लाल ने कांग्रेस के टिकट से चौथी बार सामने आए किंदर लाल को हरा दिया। पांच साल में ही जनता ने परमाई लाल व उनकी पार्टी को एक बार फिर से नकार दिया और 1980 में नेशनल कांग्रेस आई के टिकट पर आए मन्नीलाल को जीता दिया। 1984 में कांग्रेस से किंदर लाल ने फिर से विजय पताका फहरा दी, पर शायद कांग्रेस का इस वर्ष का चुनाव आखिरी था। वर्ष 1989 के चुनाव से आज तक कांग्रेस का ऐसा खाता बंद हुआ कि आज तक खुल ही नहीं सका।
1991 से लेकर 2019 तक रहा भाजपा का राज
वर्ष 1991 में भाजपा से जयप्रकाश ने खाता खोला और 1996 में दोबारा जीत दर्ज कराई। इसके अलावा 2004 में सपा से ऊषा वर्मा ने जीत दर्ज की। इसके बाद 2009 में भी ऊषा वर्मा ने ही जीत दर्ज की। इसके बाद वर्ष 2014 में भाजपा से आए अंशुल वर्मा ने जीत दर्ज की। वर्ष 2019 में भी यह सीट भाजपा प्रत्याशी जयप्रकाश के हाथों में गई। वर्ष 2024 के चुनाव में कांग्रेस सपा के साथ मिलकर अपनी पुरानी जमीन तलाश कर प्रत्याशी को जिताने का प्रयास करेगी।



