
श्रीराम जन्मभूमि ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय के बयान जिसमे उन्हीने कहा है कि राम मंदिर रामानंद संप्रदाय का है ना कि शैव शाक्त और संन्यासियों कब बाद बवाल एक नया विवाद शुरू हो गया है आपको बता दे कि राम मंदिर उद्घाटन में अब बस चंद दिन ही बचे हैं. ऐसे में इस विवाह बयान से नया विवाद छिड़ गया है इसी बीच ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद द्वारा इस बार बयान पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि चारों शंकराचार्य राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में नहीं जा रहे हैं यह निर्णय शंकराचार्य ने इसलिए लिया है क्योंकि अभी पूरी तरह से मंदिर बनकर तैयार भी नहीं हुआ है उसके बावजूद भी प्राण प्रतिष्ठा की जा रही है जिसकी कोई इतनी अत्यधिक आवश्यकता नहीं थी स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि जिस समय ढांचा गिराया गया या फिर जब रामलीला की मूर्ति को वहां पर विराजमान किया गया तब किसी शंकराचार्य ने इसका विरोध नहीं किया क्योंकि तब की परिस्थितियों में और अबकी परिस्थितियों में जमीन आसमान का अंतर है लेकिन अब जल्दबाजी करना सही नहीं है इतना ही नहीं कहा कि उन्होंने कहा कि हम धर्म शास्त्रों के अनुसार चलने वाले व्यक्ति हैं और हमारे लिए धर्म और शास्त्र ही महत्वपूर्ण है इसलिए सभी शंकराचार्य ने वहां न जाने का निर्णय लिया है।
वही चंपत राय द्वारा दिए गए बयान पर बोलते हुए स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद
ने कहा कि यदि चंपक राय कहते हैं कि यह मंदिर रामानंद संप्रदाय का है तो उन्हें इस्तीफा देकर प्राण प्रतिष्ठा से पहले ही पूरे मंदिर की जिम्मेवारी उन्हें शॉप देनी चाहिए जिसमें हम उनका साथ देंगे जिस समय चंदा लेना था उसे समय यह मंदिर पूरे राष्ट्र का बताया गया और हमसे भी चंदा लिया गया और जब अब हमने वहां जाने से मना किया तो यह मंदिर रामानंद संप्रदाय का हो गया यदि वह पहले ही इस बात को बता देते कि यह मंदिर रामानंद संप्रदाय का है तो रामानंद संप्रदाय ही इस मंदिर को निर्माण करवाते।
इसी के साथ स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद
ने कहा कि अब हमने राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में जाने से इनकार किया है तो हमें एंटी मोदी बताया जा रहा है लेकिन इस कारण से हम एंटी धर्मशास्त्र भी नहीं होना चाहते हमारे को राम कौन है और राम के बारे में धर्म शास्त्रों ने बताया है ।
आपको बता दें कि यह बयान स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर दिया है।