‘क्या फायदा ऐसी डिग्री का, जो एक नौकरी न दिला सकी’, पुलिस भर्ती पेपर लीक होने से सदमे में आए छात्र ने दी जान
बस हमारा मन भर गया है और आज मैं सबका साथ छोड़ने जा रहा हूं।

कन्नौज।नौकरी न मिलने से निराश छात्र ने फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। छात्र ने पहले बीएससी डिग्री जलाई। इसके बाद सुसाइड नोट लिखकर कमरे की छत पर लगे कुंडे से फंदा लगाकर जान दे दी। सुबह होने पर जब मां चाय देने पहुंची, तो इकलौते बेटे का शव लटकता देखकर होश उड़ गए। मृतक की मां ने बताया कि बेटे ने 18 फरवरी को पुलिस भर्ती की परीक्षा दी थी। पेपर लीक होने के बाद से बेटा तनाव में था। इससे आत्महत्या कर ली।
सदर कोतवाली के भूड़पुरवा सहजापुर निवासी 25 वर्षीय ब्रजेश पाल बीएससी करने के बाद नौकरी की तलाश कर रहे थे। पिता लक्ष्मण पाल दिल्ली की एक कंपनी में नौकरी करते। घर में ब्रजेश, उनकी मां गुड्डी देवी और बहन संगीता के साथ रहते थे।
ब्रजेश ने उत्तर प्रदेश आरक्षी पुलिस भर्ती परीक्षा में भी आवेदन किया था। 18 फरवरी को ललितपुर जिले में वह पेपर देने गए थे। पेपर देने के बाद से गुमसुम थे। गुरुवार की रात खाना खाने के बाद कमरे में चले गए। यहां छत के कुंडे से बहन के दुपट्टे से फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। सुबह जब मां ने फंदे पर लटका शव देखा, तो उनके होश उड़ गए। शोर मचाते हुए बेहोश हो गईं। इसके बाद आसपास के लोग इकट्ठा हो गए और पुलिस को घटना की जानकारी दी गई।
पुलिस ने मौके पर पहुंचकर जांच की। इस दौरान मृतक के कमरे में मेज पर रखा सुसाइड नोट और बीएससी की डिग्री आग से जली मिली।
सुसाइड नोट में लिखा था, ”मां और पिता माफ कर देना। ऐसी डिग्री का क्या, जो एक नौकरी न दिला सके। डिग्री को जलाकर वह आत्महत्या कर रहा है।” मां ने बताया कि बेटा प्रतियोगी परिक्षाओं की तैयारी कर रहा था। कई परीक्षाओं में भी भाग लिया। मृतक की मां ने बताया कि बेटे ने 18 फरवरी को पुलिस भर्ती की परीक्षा दी थी। पेपर लीक होने के बाद से बेटा तनाव में था। इससे आत्महत्या कर ली।
एसपी अमित कुमार आनंद ने बताया कि छात्र ने फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली है। स्वजन का कहना है कि बेरोजगारी से तंग आकर आत्महत्या की है। कमरे से सुसाइड नोट भी मिला है। पूरे मामले की जांच की जा रही है।
यह लिखा सुसाइड नोट में
नोट में लिखा कि मेरे माता-पिता मुझे माफ करना, मैं आपको धोखा देने जा रहा हूं। मेरी मौत के बाद किसी को परेशान न किया जाए, मैं अपनी मौत का खुद जिम्मेदार हूं। मैं अब और जीना नहीं चाहता। हमें किसी प्रकार की कोई तकलीफ नहीं थी। बस हमारा मन भर गया है और आज मैं सबका साथ छोड़ने जा रहा हूं। हो सके तो हमको माफ कर देना। आज का दिन हमारे लिए आखरी दिन है। आज हमने अपनी मां के साथ खाया खाना खाया और हम अपने मां-बाप को धोखा देने जा रहे हैं। पापा का ख्याल रखना और बोल देना, हमारा तुम्हारा इतना साथ था। संगीता की शादी अच्छे से करना, भले ही हम नहीं हैं। हमने बीएससी के सारे कागज जला दिए हैं। सुसाइड नोट में सबसे आखिर में लिखा था कि क्या फायदा ऐसी डिग्री का, जो एक नौकरी न दिला सकी। हमारी आधी उम्र पढ़ते-पढ़ते निकल गई। इसलिए हमारा मन भर गया है और आखिर में छात्र ने अपना नाम लिखा है